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जैन धर्म के अनुसार प्रत्येक जीव अरिहंत बन सकता है यानि कि वह स्वयं भगवान बन सकता है.
जैन धर्म के अनुसार आत्म कल्याण करने के लिए साधू ही होना आवश्यक नहीं है, श्रावक भी अपना आत्म कल्याण कर सकता है.
हर जैनी जन्म के साथ नवकार महामंत्र का उच्चारण करता है और अपने अंत समय में भी नवकार महामंत्र का उच्चारण करता है.
मंत्र साधना द्वारा अपनी सोई हुई शक्तियों को जगा कर जीवन आसानी से जिया जा सकता है.
अक्षर ज्ञान प्राकृत भाषा की विशिष्टता है. इसमें अ, आ, इ, उ, ए, आदि स्वर शब्द के पीछे आ सकते हैं जो अन्य भाषा में नहीं आते.
जैन यंत्र आध्यात्म से जुड़े हैं. आध्यात्मिक शक्तियों को स्थान विशेष पर स्थित करने के लिए इनका प्रयोग होता है
महावीर मेरा पंथ jainmantras.com द्वारा स्थापित एक धार्मिक आंदोलन है. यहाँ आपको जैन मंत्र, ध्यान, साधना, सूत्र, स्तुति की जानकारी प्राप्त होगी. महावीर मेरा पंथ में आत्म कल्याण की बात विशेष है. भगवान महावीर द्वारा स्थापित सिद्धांतों को जानें और उसका पालन करने की ओर अग्रसर होवे |